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DNA VERIFIED: क्या एंटी-मुस्लिम है CAA? जानिए अल-जजीरा के इस दावे का सच

DNA VERIFIED: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के प्रावधान हैं.

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DNA VERIFIED: क्या एंटी-मुस्लिम है CAA? जानिए अल-जजीरा के इस दावे का सच

CAA Notification (File Photo)

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DNA VERIFIED: लोकसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू कर दिया है. संसद के बाद राष्ट्रपति से भी हरी झंडी मिलने के बावजूद यह कानून अब तक लंबित था. अब इसकी प्रोसेस तय करते हुए केंद्र सरकार ने ऐन लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) से पहले इसे लागू कर दिया है, जिसे गेम चेंजर माना जा रहा है. हालांकि कई विपक्षी दलों ने इस कानून को मुस्लिमों के खिलाफ होने का दावा करते हुए इसका विरोध शुरू कर दिया है. खाड़ी देशों के प्रमुख न्यूज चैनल अल-जजीरा (Al-Jazeera) ने भी अपनी न्यूज रिपोर्ट में इसे एंटी-मुस्लिम बताया है. क्या यह कानून सच में मुस्लिम विरोधी है? इस बात की जांच-पड़ताल में क्या सामने आया है, चलिए हम आपको बताते हैं.

पहले जान लेते हैं CAA क्या है?

केंद्र सरकार ने पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर भारत आने वाले लोगों के लिए नागरिकता कानून में संशोधन किया था. इस संशोधन में इन तीनों देशों के धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थियों यानी हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि को जल्द से जल्द और कम से कम प्रक्रिया के जरिये भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है. मुस्लिमों के इन 3 देशों में बहुसंख्यक होने के कारण उन्हें इसके दायरे में नहीं रखा गया है. इसी बात पर विपक्षी दल और मुस्लिम संगठन इसे मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं.

अल-जजीरा ने न्यूज रिपोर्ट में क्या कहा है?

मोदी सरकार ने सोमवार को CAA के प्रावधान लागू करने का नोटिफिकेशन जारी किया है. इसे खाड़ी देशों के न्यूज चैनल Al-Jazeera ने अपने एक्स (पहले ट्विटर) हैंडल पर ब्रेकिंग न्यूज के तौर पर पेश किया, जिसमें उसने लिखा, भारत ने चुनावों से कुछ सप्ताह पहले 'एंटी-मुस्लिम' सिटीजनशिप लॉ 2019 लागू कर दिया है. 

भारत सरकार ने खुद किया है इसका खंडन

DNA ने जब अल-जजीरा के दावे की जांच-पड़ताल की तो भारत सरकार का इस पर खंडन सामने आया है. सरकार के इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक टीम ने अपने एक्स हैंडल @PIBFactCheck पर इस दावे को गलत बताया है. इसमें साफ कहा गया है कि अल-जजीरा की तरफ से झूठी जानकारी दी जा रही है.

इसके बाद यह भी बताया गया है कि CAA के जरिये किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं छीनी जाएगी. यह किसी भी एक धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह पड़ोसी देशों में शोषण और जुल्म का शिकार हो रहे अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने वाला कानून है. इन देशों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश शामिल हैं.

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