Jun 6, 2024, 02:20 PM IST

कैसे बनते हैं Lok Sabha Speaker? जानिए नियम

Jaya Pandey

लोकसभा की कार्यवाही का नेतृत्व एक पीठासीन अधिकारी करता है, जिसे लोकसभा स्पीकर या अध्यक्ष कहा जाता है. 

चुनावों के बाद नवगठित सदन का पहला काम स्पीकर का चुनाव करना होता है. लोकसभा स्पीकर का पद एक संवैधानिक पद है.

लोकसभा स्पीकर का काम सदन की दिन-प्रतिदिन के कामकाज की अध्यक्षता करना है. इसके अलावा लोकसभा स्पीकर को सदन चलाने के लिए खास शक्तियां भी मिली हैं.

लोकसभा का स्पीकर बनने के लिए सदन का सदस्य होना जरूरी है. इसके अलावा संविधान में स्पीकर चुनने की कोई विशिष्ट योग्यता निर्धारित नहीं की गई है.

अक्सर सत्तारूढ़ दल के सदस्य को ही लोकसभा का अध्यक्ष चुना जाता है. हालांकि यह फैसला बाकी दलों के सदस्यों से विचार-विमर्श के बाद लिया जाता है. 

लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव सदन में मौजूद और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से होता है. 

लोकसभा स्पीकर 5 साल के लिए (अपने चुनाव के दिन से अगली लोकसभा की पहली बैठक के ठीक पहले तक) पद पर रहता है.

एक लोकसभा स्पीकर को दोबारा भी निर्वाचित किया जा सकता है और वह लोकसभा भंग होने पर तुरंत पद खाली नहीं करता.

लोकसभा स्पीकर तभी अपने पद से हट सकता है, जब वह लोकसभा का सदस्य नहीं हो, खुद लिखित इस्तीफा दिया हो या उसे प्रभावी बहुमत से हटाया गया हो.