कभी PM बनने से रोका तो कभी प्रचार करने से... एक नजर में देखें मोदी-नीतीश का खट्टा-मीठा रिश्ता

Latest News

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election Results 2024) तस्वीर साफ हो चुकी है. बीजेपी नेतृत्व वाले NDA को 292 सीटें मिली हैं, जो बहुमत के आंकड़े से 20 ज्यादा हैं. एनडीए ने भले ही बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया हो, लेकिन बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. बीजेपी के पास इस बार 240 सीटें ही हैं. ऐसे में उसे सरकार बनाने के लिए नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का साथ बेहद जरूरी है.

543 सीटों वाले लोकसभा में सरकार बनाने के लिए 272 सीटों की जरूरत होती है. एनडीए की 292 सीटों में बीजेपी की 240, TDP की 16, जेडीयू की 12, शिवेसना (शिंदे) की 7, एलजेपी (रामविलास) की 5, JDS की 2, आरएलडी की 2, जेएसपी की 2 और पांच अन्य दलों की 5 सीटें शामिल हैं. 

अगर मोदी को फिर से सत्ता में आना है तो नीतीश और नायडू को साथ रखना ही होगा. लेकिन नीतीश कुमार सियासी पलटी मारने में माहिर माने जाते हैं.  इतिहास उठाकर देखें तो बहुत बार ऐसा हुआ जब जेडीयू अध्यक्ष ने अचानक पलटी मारी. एनडीए का भी कई बार साथ छोड़ चुके हैं. इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी के साथ भी उनके रिश्ते उतार-चढ़ाव वाले रहे हैं.

2009 में मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब लोकसभा चुनाव करने के लिए उन्हें बिहार में चुनाव प्रचार करने के लिए आना था. गुजरात दंगों की छवि की वजह से मोदी को नीतीश ने बिहार में प्रचार करने नहीं आने दिया था. 


यह भी पढ़ें- PM Modi ने इस्तीफा सौंपा, 8 जून को ले सकते हैं तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ


अखबारों में तस्वीर देखकर भड़क गए थे नीतीश
इसके बाद जून 2010 में पटना में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होनी थी. इस बैठक से पहले ही नीतीश और मोदी की जोड़ी चर्चा होनी लगी. पटना के अखबारों में दोनों नेताओं की तस्वीर छपने लगी, जिसमें मोदी और नीतीश के हाथ मिलाते हुए दिखाया गया. यह देखकर नीतीश बाबू भड़क गए और बीजेपी नेताओं के साथ होने वाला डिनर प्रोग्राम कैंसिल कर दिया.

इससे पहले 2008 में बिहार में भयानक बाढ़ आई तो केंद्र सरकार के अलावा अलग-अलग राज्यों से राहत पैकेज भेजे गए. गुजरात सरकार ने भी बाढ़ राहत के लिए 5 करोड़ रुपये का चेक भेजा था. लेकिन नीतीश कुमार ने इस चेक को वापस लौटा दिया था. नीतीश और मोदी के बीच ये खट्टा-मिट्टा रिश्ता लंबे समय तक चलता रहा. लेकिन बाहर निकलकर 2013 में आया.

कभी लालू तो कभी BJP को दिया झटका
2013 में जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो नीतीश बाबू बिफर गए. उन्होंने एनडीए से नाता तोड़ लिया. वह नहीं चाहते थे कि मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाया जाए. एनडीए से अलग होने के दौरान नीतीश कुमार ने कहा था कि हम अपने मूल सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकते. उन्हें एनडीए से अलग होने के लिए मजबूर किया गया. इसके बाद 2014 में लालू यादव के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन जेडीयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा.

इस चुनाव में हार के बाद नीतीश कुमार नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद 2015 में आरजेडी से गठबंधन कर विधानसभा का चुनाव लड़ा. इसमें जबरदस्त सफलता मिली और लालू के साथ मिलकर सरकार बनाई. लेकिन दो साल बाद 2017 में नीतीश ने पलटी मारी और एनडीए में शामिल हो गए थे. 2019 में लोकसभा और 2020 में विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़ा. इसके बाद 2022 में पलटी मारकर आरजेडी के साथ आ गए. अब 2024 में फिर पलटी मारकर एनडीए में शामिल हो गए थे.

ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगलफेसबुकxइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.