Nirjala Ekadashi 2024 Vrat: हिंदू धर्म में एकादशी का बड़ा महत्व है. साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है. वहीं अधिकमास में 26 एकादशी पड़ती है. ऐसे ही ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी रूप में मनाया जाता है. इस एकादशी पर कई शुभ योग बन रहे हैं. साथ ही इन योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करना बेहद शुभ साबित होगा. व्यक्ति के सभी पाप और कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी. निर्जला एकादशी पूजा अर्चना करने के साथ ही निर्जल व्रत रखने पर काफी लाभ प्राप्त होता है. बिना पानी के व्रत रखने की वजह से निर्जला एकादशी को सबसे कठोर एकादशी में से एक माना जाता है. इस व्रत को रखने मोक्ष की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं इस बार निर्जला एकादशी की तिथि, तारीख, पूजा विधि, मंत्र और महत्व...
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इस दिन है निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2024)
हिंदी पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून को सुबह 4 बजकर 42 मिनट से शुरू हो जाएगी. यह अगले दिन 18 जून को सुबह 6 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदयातिथि को देखते हुए निर्जला एकादशी व्रत 18 जून को रखा जाएगा.
यह है व्रत का पारण समय (Nirjala Ekadashi 2024 Vrat Paran)
निर्जला एकादशी 2024 पारण द्वादशी तिथि के दिन किया जाता है. इस व्रत के अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है. इस बार एकादशी व्रत का पारण 19 जून को सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. इस समय में द्वादशी तिथि रहेगी. ऐसे में पारण करना शुभ होगा.
निर्जला एकादशी पर ऐसे करें पूजा और ध्यान (Nirjala Ekadashi 2024 Puja And Dhyan)
निर्जला एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु का जाप करें. इसके साथ ही भगवान विष्णु को फल, फूल, चंदन अर्पित करें. भगवान को भोग और मंत्र का जप करें. विष्णु चालीसा का पाठ करें. साथ ही भगवान की आरती कर उनका ध्यान करें.
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विष्णु मंत्र का करें जाप (Nirjala Mantra Jaap)
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जाप करें. अगर आप व्रत नहीं रख रहे हैं. तब भी इस मंत्र का जाप जरूर करें. इस मंत्र के जप और ध्यान से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं.
निर्जला एकादशी 2024 का महत्व (Nirjala Ekadashi 2024 Significance)
निर्जला एकादशी को मोक्षदायिनी एकादशी भी कहा जाता है. इस एकादशी पर बिना जल ग्रहण किए पूरे दिन कठोर व्रत रखा जाता है. इसके अगले दिन द्वितीया तिथि को व्रत का पारण किया जाता है. इसे सबसे कठोर एकादशियों में से एक माना जाता है. इस एकादशी पर भगवान की पूजा अर्चना करने का विशेष फल प्राप्त होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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