जब दसवीं में रहा उसी वक्त पत्रकार बनने का मन बना लिया था. कोर्स की किताबों में उतना मन नहीं लगता था जितना अखबार और पत्रिका पढ़ने में. नतीजतन 12वीं करने के बाद मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में ग्रेजुएशन करने पहुंचा. खुशकिस्मती ऐसी रही कि दाखिला तो हुआ ही साथ ही लिखने पढ़ने के और करीब आ गया. इंटर्नशिप करने के लिए जी मीडिया डीएनए हिंदी से जुड़ा. यहां के प्रोफेशनल माहौल में बहुत कुछ ऐसा सीखने को मिला जो कॉलेज के दिनों में नहीं जान पाया था और यह मेरा सौभाग्य है कि इंटर्नशिप में किए काम की बदौलत मुझे यहां पहली नौकरी मिली. यकीन मानिए नाम अमन जरूर है, लेकिन पत्रकारिता में मिले अभी तक के मुकाम से चैन नहीं, भीतर बेचैनी है जो पत्रकारिता के जरिए बाहर निकलेगी.
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